मैं राम हूं

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तुम कौन हो “आशिष”?

तुम खुद ही समझ लो मुझे जो भी हो समझना। मेरी मां के लिए मैं उसका खूबसूरत सा चांद हूं। मेरे पिता के लिए उसका गुरुर हूं। जिसने मुझे बनाया है उसके लिए मैं एक कण हूं जिसको वो जैसा चाहे वैसा चला सकता है। किसी के लिए मैं उसकी दिल की धड़कन हूं। किसी के लिए मैं उम्मीद की किरन। किसी के लिए मैं नफरत का मंजर हूं तो किसी के लिए इश्क का समंदर। कोई मुझे सियाना समझे तो कोई मूर्ख।

किसका हूं मैं रूप?

मेरा वजूद मुझसे बहुत बड़ा है। ये बनाने वाले का करिश्मा है।

तू ही बता कि मैं कौन हूं?

मैं राम हूं।

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Ashish Malhotra
Ashish Malhotra

Written by Ashish Malhotra

कलाम: संगीत ए दिल

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