--
फिर ना टाइम मिलेगा तुझको
उठ नीरजांष सुबह हो गई, सपनों में आज़ादी को गई। नहाने के लिए पानी भर ले, दांतों को भी थोड़ा रगड़ ले। खाने को तू जोमेटो कर ले, अखबार भी तू थोड़ा पढ़ ले।
फिर ना टाइम मिलेगा तुझको…
खुद को भी थोड़ा चेक कर ले, खुद को थोड़ा हल्का कर ले। पेंट शर्ट को फिर से कस ले, डिओड्रेंट भी थोड़ा छिड़क ले। डेबिट और क्रेडिट कार्ड भी रख ले।
फिर ना टाइम मिलेगा तुझको..
खुद से भी दो बातें कर ले, घर वालों को भी पल दे थोड़ा। आसमां को तक ले थोड़ा, हवाओं की महक ले थोड़ा। हाल चाल पता कर ले थोड़ा, बातों को समझ ले थोड़ा।
फिर ना टाइम मिलेगा तुझको..
दोस्तों से भी मिल ले ज़रा, घूम ले फिर ले ज़रा। दूसरों को खुश कर ले ज़रा, उनके दुख भी सुन ले ज़रा। कुछ उनकी सुन ले ज़रा, कुछ अपनी सुना दे ज़रा।
फिर ना टाइम मिलेगा तुझको..
नया आसमां बना ले तू, फिर से दिल लगा ले तू। खुद से बैर मिटा दे तू, फिर से इश्क जगा ले तू। छोड़ फिक्र दूसरों की तू, कर ले जो करना चाहे तू। इश्क में खुद को मिटा दे तू, खुद को खुद में पा ले तू।
फिर ना टाइम मिलेगा तुझको..
आंख खुली तो होश में आया, ज़िंदगी नहीं ये जेल है भाया। बस पकड़ ले, ऑफिस को निकल ले। थोड़ा खा ले, थोड़ा खिला दे, नौकरी ये नियम सिखा दे। खुद की है पहचान बनानी तो दूसरों की है वाट लगानी। ज़िंदगी ये बड़ी तूफ़ानी, तू भी लिख ले इक कहानी।
फिर ना टाइम मिलेगा तुझको..फिर ना टाइम मिलेगा तुझको।